#BiharVotes के समय बिहार में रहा। लेकिन, बिहार के बारे में बिहारी ही तय करेगा, बाहरी नहीं। एक जगह भोजन पर जाना हुआ। जगह है दसरथा। दसरथा और सिपारा दोनों पुराने गांव हैं, जो 1980 आते आते शहर में शामिल होने के फेर में लोग घर बनाने लगे। पटना सचिवालय, स्टेशन से ये जगह सिर्फ 3 किलोमीटर है। अब वोट यहां किस आधार पर पड़ना चाहिए। ये बिहारियों को बताने की जरूरत है क्या। तस्वीरें देखिए इन्हीं रास्तों से हम पहुँचे। #PrideOfBihar
देश की दशा-दिशा को समझाने वाला हिंदी ब्लॉग। जवान देश के लोगों के भारत और इंडिया से तालमेल बिठाने की कोशिश पर मेरे निजी विचार
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हिन्दू मंदिर, परंपराएं और महिलाएं निशाने पर क्यों
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