Tuesday, April 01, 2014

अपनी लेडीज के बहाने दूसरे की लेडीज के साथ

इलाहाबाद के अलोपी देवी मंदिर में नवरात्रि के पहले दिन की कतार
इलाहाबाद के अलोपशंकरी मंदिर में नवरात्रि दर्शन के लिए अच्छी व्यवस्था थी। हमारे लिए भी ये सुखद अनुभव था कि इलाहाबाद के अलोपीदेवी मंदिर में इतने व्यवस्थित तरीके से दर्शन हो रहे हैं। महिला, पुरुष की अलग कतार थी और कतार धीरे-धीरे ही सही लेकिन, लगातार बढ़ रही थी। इसी व्यवस्था की तारीफ करते हुए 2 पुरुष महिलाओं वाली कतार के सबसे पीछे लग लिए थे। और महिलाओं की कतार में पुरुष होने का भय, लज्जा छिपाने के लिए तेजी से बात करते हुए दिख रहे थे कि एकदम गेट पर रोक देगा तो रुक जाएंगे। मुझे लगा कि शायद ये अपने से धार्मिक जगह पर सद्बुद्धि का इस्तेमाल करेंगे और पुरुषों की कतार में आ जाएंगे। लेकिन, वो तो अपनी लेडीज का साथ छोड़ने को तैयार ही नहीं था। दोनों पुरुष अपनी पत्नी के पीछे महिला कतार में ही लगे रहे। आखिरकार मुझे बोलना पड़ गया। बोला तो दोनों एक साथ बोल पड़े हमारी लेडीज साथ में हैं। तो मैंने तुरंत कहाकि मेरी भी लेडीज महिला कतार में आगे हैं। और ये भी बोला मैं कि क्या आप चाहते हैं कि आपकी लेडीज के पीछे भी कतार में कोई और लग जाए। मैंने फिर जोर देकर कहाकि आप लोग व्यवस्था न बिगाड़िए पुरुष कतार में आ जाइए। इतना कहने पर भय, लज्जा के दबाव में सद्बुद्धि एक पुरुष को आई और वो अपनी लेडीज का साथ छोड़कर पुरुष कतार में लग गए। लेकिन, दूसरे वाले सज्जन पर भय, लज्जा का दबाव कम काम कर रहा था। क्योंकि, उनकी लेडीज का उनको गजब साथ मिल रहा था। इसलिए दूसरे सज्जन थोड़ा और आगे जाकर फिर वही प्रयास करने लगे। और इसमें उनकी लेडीज प्रेरक भूमिका में थी। जब मैंने जाने नहीं दिया तो देवी दर्शन को आए पुरुष कहे बहरै से माई क दरसन कई लेब कउनौ बात नाहीं।असल समस्या यही है। अच्छी खासी व्यवस्था को पहले हम खराब करते हैं। फिर अपनी लेडीज के साथ दुर्व्यवहार पर व्यवस्था को गरियाते हैं। और हम धार्मिक हैं।

2 comments:

  1. अच्‍छा आलेख।।।।

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  2. सही समझाया गया, धीरे धीरे समझेंगे।

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